वैदिक ज्योतिष में अनेक योगों का वर्णन मिलता है। ये योग शुभ भी होते हैं और अशुभ भी। एक से अधिक ग्रहों के शुभ-अशुभ संयोगों से बनने वाले ये योग जातक के संपूर्ण जीवन को प्रभावित करते हैं। एक योग जिसके बारे में सबसे अधिक चर्चा सुनने में आती है, वह है गुरु-चांडाल योग। इसे केवल चांडाल योग भी कहते हैं लेकिन गुरु चांडाल योग के नाम से इसे अधिक लोग जानते हैं। गुरु और राहु की युति से बनने वाला यह योग बुरे योगों की श्रेणी में आता है। इसके प्रभाव से जातक के जीवन में अनेक कष्ट, परेशानियां, आर्थिक संकट, रोग और अत्यधिक खर्च आते हैं।
आइए जानते हैं यह योग कैसे बनता है और इसके बुरे प्रभावों से बचने के लिए क्या किया जाता है….
गुरु चांडाल योग
वैदिक ज्योतिष के अनुसार किसी जातक की जन्मकुंडली के किसी भाव में गुरु और राहु एक साथ बैठे हों तो चांडाल योग का निर्माण होता है। यदि दोनों ग्रह स्पष्ट रूप से एक-दूसरे को पूर्ण दृष्टि से देखें तो भी यह योग बनता है, लेकिन मुख्यतः तो दोनों ग्रहों के एक साथ एक ही स्थान में बैठने से यह योग बनता है।
चांडाल योग के प्रभाव
· चांडाल योग के कारण व्यक्ति का जीवन अस्थिर हो जाता है। उसकी कथनी और करनी में अंतर रहता है। वह बोलता कुछ है और करता कुछ है। इसलिए लोगों का उस पर से भरोसा उठ जाता है।
· चांडाल योग वाले व्यक्ति में आत्मघाती प्रवृत्ति बहुत ज्यादा होती है। अनजाने भय और निराशा के कारण वह आत्महत्या जैसा कदम भी उठा सकता है।
· ऐसा व्यक्ति हर बुरे काम करके खूब सारा पैसा कमा लेना चाहता है। धन की लालसा में ऐसा व्यक्ति किसी को शारीरिक हानि पहुंचान से भी डरता नहीं है।
· चांडाल योग वाला व्यक्ति धूर्त और छल-कपट करने लगता है। वह अपनों को ही सबसे ज्यादा धोखा देता है। दूसरों से दुर्भावना, ईर्ष्या भी ऐसे व्यक्ति में देखी जाती है।
· मति भ्रम और अनिर्णय की स्थिति भी ऐसे जातक में देखी जाती है। वह स्वयं अपने लिए निर्णय पर ही कायम नहीं रह पाता। अपने निर्णय बार-बार बदलता रहता है।
· ऐसा जातक कई बार इतने गलत निर्णय ले लेता है कि उसे और उसके पूरे परिवार को जीवनभर परेशान होना पड़ता है।
· धन की बर्बादी करता है और पूर्वजों के बनाए हुए धन को बुरे कार्यों और अपनी वासना पर नष्ट करता है।
क्या उपाय करें
· गुरु चांडाल योग के बुरे प्रभाव कम करने के लिए राहु की शांति के उपाय किए जाते हैं, क्योंकि गुरु यदि स्वयं की राशि या अपने मित्र की राशि में है तो माना जाता है कि वह तो ठीक स्थिति में है लेकिन राहु के कारण अपना शुभ प्रभाव नहीं दिखा पा रहा है, इसलिए ऐसी स्थिति में राहु को शांत करना आवश्यक है।
· राहु को शांत करने के लिए उसके जाप करवाना जरूरी रहता है। जाप के बाद उसका दशांश हवन करवाया जाता है।
· हनुमान और भगवान शिव की नियमित आराधना से चांडाल योग का प्रभाव कम होता है। हर दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
· गाय की सेवा करें। किसी गौशाला में जाकर गायों को हरा चारा खिलाएं।
· चांडाल योग का निवारण करने के लिए बरगद के पेड़ में प्रत्येक शनिवार को कच्चा दूध चढ़ाएं।
· राहु शांति पूजा भी करवाई जा सकती है।
· प्रत्येक गुरुवार को गाय को केले खिलाएं। अपने गुरुजनों, माता-पिता और वृद्धजनों की सेवा करें।
· वृद्धाश्रमों में जाकर सेवा देने से भी चांडाल योग के बुरे प्रभावों में कमी आती है।