वशीकरण तिलक- मनुष्य २१वीं सदी में पदार्पण कर चूका है. कई आकाशगंगाओं की खोज कर चुका है. इतनी प्रगति के बावजूद मनुष्य को अब भी यह विश्वास है की मंत्र सिद्धि के माध्यम से किसी को भी अपने वश में किया जा सकता है. आम भाषा में इसी को वशीकरण कहते हैं . वशीकरण से अभिप्राय है -“किसी को अपने वश में करना “. वशीकरण का प्रयोग कई तरह से किया जा सकता है. इसके द्वारा मनुष्य अपने दुश्मन को भी अपना मित्र बना सकता है, मनचाहा वर प्राप्त किया जा सकता है, अपने करियर में आ रही बाधाओं को दूर कर सकता है.
ये तो हुआ वशीकरण का अर्थ. अब जानते हैं की तिलक क्या होता है? तिलक अर्थात टीका, जिसे हम अपने माथे पर भौंहों के बीच में लगते हैं. भारत योग की नगरी है. आदिकाल से हमारे यहाँ योग का, कुंडलिनी क्रिया का महत्त्व रहा है. योग विद्या के अनुसार यह मन जाता है की दोनों भौंहों के बीच में आज्ञाचक्र पर तिलक करने से न सिर्फ ललाट की आभा बढ़ती है, बल्कि इससे मन मस्तिष्क में एक स्फूर्ति का संचरण भी होता है.
वशीकरण तिलक शब्द वशीकरण+तिलक से मिलकर बना है. अर्थात मन्त्रों द्वारा सिद्ध की गई विशेष सामग्री का तिलक के रूप में प्रयोग करके किसी को वश में करना या फिर अपन आकर्षण शक्ति को बढ़ाना. अब सवाल यह उठता है की मनुष्य इस वशीकरण तिलक को आखिर क्यों प्रयोग करता है? इसके कई कारन हो सकते हैं, जैसे- किसी विशेष व्यक्ति को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए, किसी पार्टी में सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ताकि वह पार्टी में सबके आकर्षण का केंद्र बन सके. इसके माध्यम से किसी विशेष स्त्री या उरुष को मोहित भी किया जा सकता है. कुछ लोग इस वशीकरण तिलक का प्रयोग अपने रूठे मित्र को मनाने के लिए भी करते हैं. वशीकरण तिलक का इस्तेमाल संपर्क में आने वाले व्यक्तियों पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए भी किया जाता है.