सौतन से छुटकारा को भले ही बीते जमाने में पति की दूसरी पत्नी के तौर पर सामाजिक मान्यता मिली हुई हो, लेकिन आज दुनिया के किसी भी कोने में इसे अनैतिक समझा जाता है। सौतन किसी पत्नी का सुख-चैन छिनने वाली होती हैं। इसलिए कोई भी स्त्री कभी नहीं चाहेगी कि उसका पति सौतन यानि पराई स्त्री के साथ प्रेम-संबंध कायम करे। इसके लिए वह पति पर तरह-तरह के अंकुश बनाती हैं और भावनात्मक स्तर पर वैवाहिक रिश्तों की पाबंदियां लगाती है।
वैसे सौतन से छुटकारा पाने का अर्थ है पति को अपने वश में करना, न कि किसी स्त्री को पति से दूर करना। दोनों कार्यों को समझने का फर्क और अर्थ सकात्मक एवं नकारत्मक भाव लिए हुए किसी का अहित करने से बचाने का भी है। यह कहें कि पति के वशीकरण उपाय सांप भी मर जाए और लाठी भी नहीं टूटे मुहावरे के सिद्धांत के आधार पर किया जाना चाहिए। आईए जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण उपयों के बारे मेंः-
प्रेम में कमीः पति के दूसरी स्त्री के प्रति अकर्षित होने का सामान्य अर्थ में उसकी व्याहता पत्नी के प्रेम में कमी का होना है। ऐसे में सबसे पहले पत्नी को चाहिए कि वह पति के ऊपर अपने रंगरूप-सौंदर्य-यौवन का भावनात्मक मोहिनी जाल फैलाए। उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण को स्मरण कर शुक्रवार को एक सरल उपाय करे। इसके लिए तीन इलायची को अपने शरीर से स्पर्श कर उसे पहने हुए परिधान में छिपा लें। साड़ी पहनने वाली स्त्री अंचल के कोने में, या सलवार-सूट वाली स्त्री दुपट्टे के एक कोर में या फिर जींस-टीर्शट जैसी आधुनिक परिधान धारण करने वाली अपने रूमाल के एक कोने में बांधकर रख लें।
अगल दिन यानि शनिवार की सुबह उसी इलायची को पीसकर किसी व्यंजन के साथ पति को खिला दें। ऐसा मात्र तीन शुक्रवार को करने से पति का उसकी पत्नी के प्रति वशीकरण हो जाता है और सौतन से खुद-व-खुद मुक्ति मिल जाती है।
कामदेव का वह मंत्र इस प्रकार हैः- ओम कामदेवाय विद्यम्हे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्। इसके अतिरिक्त कामदेव को प्रसन्न रखने के शाबर मंत्र भी हैः- ओम नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो, भवामि यस्य यस्य मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा। इन मंत्रों के जाप से यौन क्षमता बढ़ती है। इसी तरह से शुक्र मंत्र ओम दां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः के जाप से पति को अपने वश में रखा जा सकता है।